छत्तीसगढ़ी शायरी:
1. मोर गांव के माटी के महक,
दुरिहा तक पहुँचाय संग हवा के चहक।
चरण म धरौ माँ माटी तोर,
तैंच हमर जिनगी के अमर जोर।
2. गंगा अर नर्मदा के बीच के धरती,
मया अर स्नेह ले भरपूर बड़ती।
छत्तीसगढ़ हमर सिरजन हार,
जहां हर दिल मां बसे प्यार।
3. धान के कटोरा, छत्तीसगढ़ मयारू,
धरती ह सोनहा, हावा ह सुग्घर गमकदारू।
जहां हर जीव ला मिलथे अपन ठांव,
छत्तीसगढ़ के गाथा, सुनय सारा गांव।
4 . साजा-सजग हमर बोली ला सुन,
छत्तीसगढ़िया मन के पंथ अनूठा गुन।
गांव-गांव म बसे मया के झोक,
हर दिल म लहराय छत्तीसगढ़ के लोक।
छत्तीसगढ़ी शायरी सरलता और सादगी से भरी होती है,
5. महुआ के खुशबू, तेंदू के छांव,
छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में हावे ठांव।
बईला के राग, कोसा के थान,
यहां हर कोना म बसथे भगवान।
6. सोनहा बिहान, हरियर धरती,
नदी-नाला म गूंजथे गजब की मरती।
बाजत हे मांदर, नाचत हे जीवन,
छत्तीसगढ़ मयारू, अजब हे सावन।
7. तोर माटी म बसे हे अपन महिमा,
कहूं गवाही देवय कोयल के रिमा।
बांस के बारी अर आम के गाछ,
छत्तीसगढ़ के जीवन, हर हाल म खास।
8. अतिथि सत्कार हे तोर परंपरा,
धन-धान्य ले भरपूर हे तेर थरिया।
बचपन ले बुढ़ापा तक, हर मोड़ म तैं संग,
छत्तीसगढ़ के धरती, मोर जीवन के रंग।
9. सांस्कृतिक थाती, लोकगीत के गूंज,
तोर मया म लहराय हर दिल के पूंज।
धान के खुशबू, तेंदू के फल,
तोर आंचल म मिलथे सुकून के पल।
Hello
Wellcome to my website
Please daily visit now