अरबपति Elon Musk के ब्रेन चिप स्टार्टअप न्यूरालिंक ने इंसानी दिमाग में चिप लगाने की सफलता हासिल की है।
Elon Musk ने जिस व्यक्ति के दिमाग में यह इंप्लांट किया गया है उसकी सेहत में सुधार हो रहा है एलोन मस्क ने अभी मरीज की पहचान उजागर नहीं की गई है लेकिन एलोन मस्क ने उसकी उम्र 40 साल बताई है। और उस व्यक्ति के शरीर के 4 अंग लकवाग्रस्त हैं बताया है। और पहला ट्रैलर किए हैं।
न्यूरालिंक ब्रेन चिप्स कैसे काम करता है।
- मस्तिष्क की कोशिकाओं को न्यूरान कहते हैं ,यह सिग्नल भेजती है। ब्रेन चिप न्यूरालिंक लिंक एप पर सिग्नल भेजती है Apps उसे रिकॉर्ड करता है चिप में लगी बैटरी एक दिन चलती है और बिना तार चार्ज होती है।
- चिप के इलेक्ट्रोड एक सिग्नल को पढ़ पाने में सक्षम है।
- चिप बाहर के घड़ी के डायल जैसी है बाकी हिस्सा प्रत्यारोपित होता है।
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न्यूरालिंक ब्रेन चिप चार्ज कैसे होता है।
चिप में लगी बैटरी एक दिन चलती है, और बिना तार चार्ज होती है।
दुनिया कि सबसे पहले ब्रेन चिप किसने बनाई।
Elon Musk:- न्यूरालिंक की मदद से इंसान बस सोच कर ही अपना फोन ,कंप्यूटर नियंत्रित कर सकते है। और अपना दिमाग और शरीर की बीमारी को कंप्यूटर या लैपटॉप में प्रदर्शित करा सकता है।
टेलीपेथी ब्रेन चिप क्या है किसका नाम है
- यह ब्रायन इंप्लांट चिप क्या है ?
यह वायरलेस चिप की टेलीपैथी नाम दिया गया है , इसके लिए मस्तिष्क में इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित जाते हैं , भविष्य में इंसान सोच कर ही मोबाइल, कंप्यूटर आदि गैजेट्स आसानी से चला सकेंगे, यह इस दिशा में पहला कदम है यह तकनीकी की दुनिया में पहला कदम है ,
यह तकनीक होती तो स्टीफन हॉकिंस तेज टाइपिस्ट से भी तेजी से संवाद कर पाते।
- टेलीपैथी चिप इसके क्या फायदे होंगे
न्यूरालिंक की स्थापना एलन मस्क ने 2017 में की थी यह स्टार्टअप मस्तिष्क ,कंप्यूटर इंटरफेस बनाने की कोशिश कर रहा है ।
इसका उद्देश्य में लकवा ,मिर्गी , पार्किंसंस जायसी अनेक बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मदद करना है, वह इस बीमारी का इलाज ढूंढने के लिए बनाया है 2004 में इस डिवाइस का मानव पर प्रदर्शित हो चुका है ।
न्यूरालिंक के प्रयोग से आगे जाकर पैथोलॉजिकल और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों की पहचान और उपचार हो सकेगा याददाश्त जाने की समस्या से भी निपटा जा सकेगा डिप्रैशन एंजायटी का भी उपचार आसान होगा।
- न्यूरालिंक डिवाइस अलग कैसे हैं।
न्यूरालिंक इसमें 1000 से अधिक इलेक्ट्रोड है। यह व्यक्तिगत न्यूरानस से जुड़ता है। जबकि अन्य डिवाइस सामूहिक न्यूरानस से जुड़ते हैं।
- आम लोगों के लिए यह तकनीकी कब उपलब्ध होगी
इस तरह की स्टडी में 5 से 10 लोगों का प्रयोग किया जाता है यह करीब एक साल चलेगा सब कुछ सही रहा तो यह आम लोगों के लिए भी उपलब्ध हो जाएगी।
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