How to become an umpire in India: क्रिकेट के शौकीन लोग इस फील्ड में कई तरह से शामिल होना चाहते हैं. उन्हीं में से एक है अंपायरिंग. अगर आपके मन में भी ख्याल आता है कि इंडिया में क्रिकेट अंपायर कैसे बनते हैं, क्या प्रोसेस होता है, क्या पात्रता चाहिए होती है और क्या इसके लिए किसी प्रकार का कोई टेस्ट देना होता है
अंपायर बनने के सबसे पहले पास करनी होती है ये परीक्षा
क्रिकेट अंपायर बनने के लिए सबसे पहले लिखित परीक्षा पास करनी होती है. इसे पास करने वालों को अगले चरण यानी प्रैक्टिकल और ओरल टेस्ट के लिए बुलाया जाता है. तीनों चरण क्लियर कर लेने वाले कैंडिडेट को अंपायर के तौर पर नियुक्ति मिलती है. ये टेस्ट स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित होते हैं और आपको शुरुआत यहीं से करनी होती है.
स्टेट लेवल से होती है शुरुआत
इनके लिए कोई वैकेंसी या विज्ञापन नहीं निकलते हैं. आपको अपने स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के टच में रहना होता है और समय-समय पर अपडेट पता करने होते हैं. कभी-कभी जरूरत के मुताबिक टेस्ट आयोजित किए जाते हैं और सेलेक्शन होता है. जब वैकेंसी निकलें तो इन्हें भरें और परीक्षा में शामिल हों. हर स्टेट में इनका आयोजन होता है और शुरुआत स्टेट लेवल से ही होती है.
अंपायर बनने के लिए क्रिकेट खेलना जरूरी है या नहीं
इस फील्ड में आने के लिए जरूरी नहीं कि आपने पहले क्रिकेट खेला हो लेकिन खेल की पूरी जानकारी आपको अच्छे से होनी चाहिए. क्रिकेट के 42 लॉ से लेकर अन्य छोटे-बड़े सारे नियम आपको पता होने चाहिए. पहले स्टेट लेवल पर सेलेक्शन होता है और राज्य के हिसाब से सेल्क्शन के बाद चार-पांच दिन का सर्टिफिकेट प्रोग्राम कराया जाता है. ये प्रोग्राम अधिकतर जगहों पर कराया जाता है. इसके बाद अंपायरिंग के लिए फील्ड पर भेज दिया जाता है. यहां कुछ साल काम करने के बाद आप बीसीसीआई में अंपायरिंग के लिए आवेदन कर सकते हैं.
अंपायर बनने के लिए क्या एग्जाम बीसीसीआई के एग्जाम करें पास करे या नहीं।
यहां दो लेवल पर एग्जाम पास करने होते हैं. पहले लेवल 1 एग्जाम होता है और इसमें शामिल होने के लिए आपको इंटरनल स्क्रीनिंग प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. कुछ मानकों पर खरा उतरने के बाद ही आप लेवल वन एग्जाम दे सकते हैं. इसके बाद अंपायर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम (राज्य लेवल पर कराया जाता है) जैसा ही प्रोग्राम लेवल वन के लिए कराया जाता है जो आपको पूरा करना होता है. इसे करनेके बाद थ्योरी एग्जाम देना होता है और उसे पास भी करना होता है.
इसे पूरा करने के बाद एक साल का बीसीसीआई का रिफ्रेशर कोर्स करना होता है. बीसीसीआई का रिफ्रेशर एग्जाम पास करने के बाद आप लेवल 2 की परीक्षा दे सकते हैं. हालांकि कुछ साल पहले नियम बदले हैं और रिफ्रेशर प्रोग्राम के बिना ही लेवल 2 एग्जाम देने की सुविधा दी गई है. पहला लेवल पास करने से आप दूससे लेवल पर जाने के लिए पात्र हो जाते हैं. दोनों लेवल पार करने के बाद बीसीसीआई अंपायर के तौर पर नियुक्त किए जाते हैं. लेवल 1 पास करने के 1 साल के अंदर ही लेवल 2 क्लियर करना होता है.
अंपायर बनने के लिए ये क्वालिटी हैं जरूरी
अंपायर बनने के लिए क्रिकेट पसंद करने के अलावा कुछ क्वालिटी आपमें होनी चाहिए. फिजिकल फिटनेस तो जरूरी है ही साथ ही लंबे समय तक कॉन्सनट्रेट करने की पावर भी होनी चाहिए. हर गेंद, हर शॉट पर आपकी हर बार पैनी निगाह होनी चाहिए. फील्ड में इतने खिलाड़ियों के बीच घिरे रहने के बावजूद कांफिडेंट रहने और अपीलों सेकनविंस न होने का माद्दा होना चाहिए.
लंबे समय तक खड़े रहना, वेदर कंडीशन से प्रभावित न होना भी जरूरी है. मैच के बाद अंपायर को मैच रिपोर्ट देनी होती है. इसका भी ज्ञान होना चाहिए और आपकी अंपायरिंग के अलावा मैच रिपोर्ट भी वो चीज है जिसके बेसिस पर आपके काम को जज किया जाता है.
अंपायर एक मैच मे कितना कमाते हैं अंपायर?
कमाई इस बात पर निर्भर करती है कि कहां और किसके साथ काम कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर बताएं तो आईपीएल के सीजन में अंपायर 40 लाख रुपये तक कमा सकते हैं. बीसीसीआई में अंपायर की कैटेगरी होती है, ए प्लस, ए और बी टाइप. इन्हें इसी के मुताबिक सैलरी मिलती है. ए प्लस कैटेगरी को फस्र्ट क्लास गेम के लिए दिन के 40 हजार, बी और सी कैटेगरी को 30 हजार रुपये मिलते हैं. बाकी सैलरी मैच का लेवल, अंपायर का एक्सपीरियंस आदि पर भी निर्भर करती है.
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