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छत्तीसगढ़ का अनोखा YouTubers वाला गांव: खेती-बाड़ी नहीं, वीडियो बना कमाई कर रहे हैं इस गांव के लोग
महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांव में बसती है. बापू ने भारत के ग्रामीण इलाके के विकास पर ज़ोर दिया. शहर में भले ही कितनी ही चकाचौंध और आधुनिक चीज़ें आ जाएं, गांव के कुएं का पानी और ठंडी हवा की बात ही कुछ और है. गांव को लेकर हर शख्स के दिमाग में यही छवि है- कच्ची सड़कें और उन पर दौड़ते बच्चे, खेती-बाड़ी करते अधिकतर लोग, कच्चे मकान, बिजली-पानी की दिक्कतें आदि. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक ऐसा गांव में जो इस सोच को चुनौती देता है.
YouTube से कमाई करते हैं इस गांव के लोग
YouTube अब सिर्फ़ एंटरटेनमेंट और शिक्षा का ही साधन नहीं रहा, कमाई
का भी ज़रिया बन चुका है. कन्टेंट क्रिएटर्स वीडियोज़ के ज़रिए कमाई कर रहे
हैं. छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसा ही YouTubers' Hub है. तुलसी नाम के इस गांव
की कुल आबादी 3000 है और लगभग 1000 लोग यूट्यूब कंटेंट क्रिएशन से जुड़े
हुए हैं
सरकारी नौकरी छोड़ कर शुरू किया YouTube Channel
गांव में ही रहने वाले दो दोस्त ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा सरकारी नौकरी करते थे. जहां देश के अधिकतर युवा सरकारी नौकरी के पीछे लगे हुए हैं, ज्ञानेंद्र और जय ने नौकरी छोड़ कर YouTube Channel खोला. ज्ञानेंद्र शुक्ल स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में नेटवर्क इंजीनियर थे और यूट्यूब वीडियोज़ देखते थे. वीडियोज़ देखते-देखते ही उन्हें नौकरी छोड़कर अपना कंटेंट बनाने का आइडिया आया. जय वर्मा कोचिंग में पढ़ाते थे और दोनों ने मिलकर यूट्यूब चैनल शुरू किया. अब तक दोनों ने मिलकर 250 वीडियोज़ बनाए हैं और उनके 1.15 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हैं.
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आसान नहीं था सफ़र
गांव के लड़के अगर सरकारी नौकरी छोड़ यूट्यूब वीडियो बनाने लगे तो मुश्किलें आना लाज़मी है. ज्ञानेंद्र शुक्ला ने बताया, 'पहले मुझे कन्टेंट बनाने में हिचकिचाहट होती थी और पब्लिक में एक्टि नहीं कर पाता था. जब गांव के कुछ बुज़ुर्गों ने हमें राम लीला में भाग लेने को कहा तो हमारी हिचकिचाहट दूर हो गई. आज लगभग गांव का हर शख्स यूट्यूब वीडियो बना रहा है और अच्छी-खासी कमाई कर रहा है.'
ज्ञानेंद्र शुक्ला सरकारी दफ़्तर में 9 से 5 की नौकरी करते थे. यूट्यूब पर ही उन्होंने कई फ़िल्में देखी लेकिन अभिनय के बारे में जानकारी कम थी. रामलीला ने उनकी ये समस्या हल कर दी. ज्ञानेंद्र ने बताया, 'हमने रामलीला से काफ़ी कुछ सीखा. स्टेज फ़ियर एकदम चला गया.'
अच्छी कमाई हो रही है
जय वर्मा ने बताया कि दोनों को देखकर बाकी लोगों ने भी वीडियोज़ बनाना शुरू किया. जय ने कहा, 'हमें देखकर बाकी लोगों ने भी YouTube और बाद में टिकटॉक और अब रील्स बनाना शुरू किया है. मैंने केमिस्ट्री में M.Sc की है. मैं कोचिंग इंस्टीट्यूट में पढ़ाकर महीने के 12-15 हज़ार कमाता था. अब वीडियोज़ बनाकर 30-35 हज़ार कमाता हूं.'
महिलाओं के लिए नए मौके
नक्सल प्रभावित राज्य के इस गांव में भी औरतों पर बंदिशें हैं. YouTube ने उन्हें भी घर से निकलने के मौके दिए हैं. यूट्यूबर पिंकी साहू ने कहा, '1.5 साल से वीडियोज़ बनाने का काम कर रही हूं. हमारे लगभग 40 चैनल्स हैं. हर कोई भाग लेता है. महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं है लेकिन यूट्यूब से हमें बहुत सारी जानकारियां मिली. ये पता चला कि लड़कियां भी बहुत कुछ कर सकती हैं.'
छत्तीसगढ़ के इस अनोखे गांव की कहानी पढ़ कर आपको कैसा लगा?
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