Savan me mahadev ki kahani , सिवजी के भगति के महीना सावन माह रोचक जानकारी।
बारह महीना म सावन महीना के महत्व अलग हावय। काबर कि ए महीना ह भगवान भोलेनाथ बाबा के नाम ले जानें जाथे।
संकरजी ह एकठन बस आईसे देवता हे जेखर पूजा दानव मानव आऊ देवता सभोझन करथे। जउन ह एकठन फूल, नारियल म तको खुस हो जाथे। संकरजी ह हिमालय परबत के कैलाश पर्वत म रहिथे।
हमर पोथी पुराण के मुताबिक़ बारह ज्योतिर्लिंग हावय जेकर कथा अलग अलग हावय। सावन महीना म सोमवार के उपवास रहे ले सिवजी अति मग्न होथे आऊ भगत के मनोकामना ल पूरा घलो करथे।
महादेव के पूजा अर्चना के समान
सिवजी म पंचामृत, नारियल, भांग, धतूरा, कनेर फल, बेलपान, बेलफल, गांजा , दूध, दही, घी, गंगाजल, मंदरस तुलसी, चना दाल ए जम्मो ह चघथे।
महादेव महिमा
बिहनिया ले कावरियामन सुघगर पबरित नदिया, तारिया, पोखर से जल भर के रेंगत बोलबम के नारा लगावत सिववालय म जाथे। आऊ जल चघाथे।
सिवजी के अराध्य देव रामजी हावय जेकर नामदिंनकर, संकरजी ह बघवा के खाल म पालथी मारके बईठे रहिथे। धरती म भागीरथ ह गंगा मईया ल लाथे, त वोकर तेज़ धार म धरती ह जातिस त संकरजी ह अपन जटा ल खोलके बोहात गंगा जी ल बांध के आऊ एकठन छुटकन धार के रुप म वोला छोड़थे। तेकर नाम लेके हर हर गंगे कहीथे। संकरजी हर परसूराम ल पिनाक धनुष देय रहीस। जेला राजा जनक ल परसुराम दे देय रहीथे। त वहीं भगवान बिस्नुजी ल सुदरसन चक्र सिवजी ह देय हावय।
हमर देस परदेस म तीज तिहार के दिन उपास रहिथे। जेमा सिव पारबती के आसीरवाद आऊ फल ल पाथे । बिरंदा के पति जालंधर के बध तको सिवजी ह करथे। जेमा सती के सक्ति के सेती कोनो नई मार सकत रहिसे। सिवजी के महामिरित्युंजय मंत्र ले मनखे अकाल मऊत ले बचथे।
आइसे अनगिनत कहानी, कथा हे भगवान भोलेनाथ बाबा के।।
सावन मास के कविता
सावन के सुवागत हे ..
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बादर बद्बबदावत हे
बरसा बरसावत हे
अमरीत अमावत हे
सावन के सुवागत हे ।।
गली खोर म चिखला
नांगर, भईसा, बाईला
खेती, खार , मुहिटार
नसा चघ गेहें सब ला।।
जांगर ला जगावत हे
करम ला कमावत हे
अमरीत अमावत हे
सावन के सुवागत हे।।
चुहय छानी परवा
छलके नदिया नरवा
दबके चिराई चाटी
दाउडे गाय गरुवा।।
माटी ममहावत हे
चंदन जईसे लागत हे।।
हरियर धरती धानी
सकेलय सुघगर पानी।।
जुचछा हावय बिन जल
ये जग जिनगानी
भुईया ह पियास बुझावत हे।।
छाती ल जुडावत हे
अमरीत अमावत हे
सावन के सुवागत हे।
बादर बदबदावत हे
बरसा बरसावत हे।।
बरसा बरसावत हे।।
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