श्री गुरू घासीदास के जनम परिचय छत्तीसगढ़ी म guru ghasidas Biography in chhattisagrhi।
🙏जय जोहार जय सतनाम 🙏
ए पोस्ट म हमन श्री गुरू घासीदास के जनम परिचय Guru ghasidas Biography in chhattisagrhi म लिखा है।
श्री गुरू घासीदास के जनम परिचय छत्तीसगढ़ी म guru ghasidas Biography in chhattisagrhi।
गुरू घासीदास (1756-1836 CE), 19 वा सदी के हिन्दू धर्म के सतनामी सम्प्रदाय के सर्वोपरी माने जाथे।
ओखर जनम ओ सदी म होए रहीस हे, जब लोगनमन उच - नीच, आऊ छुवा - छूत जईसे जाती - पाती के सामाजिक समस्याओ से घिरे हुए थे। आईसे समय म ए महान पुरुष ने हमारे देश को एकता आऊ भाईचारा का पाठ पढ़ाया।
घासीदास जी सत्य वादी थे आऊ ओ हा लोगानमनला भी सात्विक जिवन जीने की परेडना दी। ओ हा अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा आऊ सामाजिक कार्यों में बीता दिया। आइए उन्हीं महान व्यक्ति के जीवन परिचय से आप मन ला अवगत कराथन।
सुरुवात के जीवन ( Early Life) प्रारंभिक जीवन परिचय
गुरू घासीदास के जनम 18 दिसम्बर ,1756 को 36 गड़ के गिरौदपुरी, राईपुर सहर के तहसील- बलोदा बाजार म हुआ था । ओखर पिता के नाम श्री महगु दास जी आऊ माता के नाम श्री मती अमराओं तीन देवी था। आऊ ओखर एक पत्नी भी थी ,जेखर नाम सफुराबाई था।
पढ़ाई {शिक्षा} [ Education]
लोगन मन के मानना है गुरू घासीदास जी ने 36 गड़ राज्य में रायगढ़ जिले के बिलासपुर रोड़, सारंगढ तहसील में एक वृक्ष के निचे तपस्या के माध्यम से अपनी शिक्षा ली थी। ओखर महान उपदेशो ने समाज के छुवाछुत, मूर्ति पूजा, जाईसे जाती- पाती से जुड़े सामाजिक कुप्रथा ओ को की हद तक दूर किया। बाद में ओखर तपस्या के ईस्थान को एक पुस्प वाटिका के रूप में निर्मित किया गया।
परमुक सामाजिक कार्य (मुख्य समाजिक कार्य ) Major Social Work's
गुरू घासीदास जी ने बिशेस रूप से 36 गड़ के लोगों के लिए सतनाम का पर चार किया। ओखर बाद उनकी शिक्षाओं को उनके पुत्र बालाकदास ने लोगों तक पहुंचाया। गुरू घासीदास ने छत्तीसगढ़ में सतनाम संप्रदाय की स्थापना की थी। इसीलिए उन्हे ''सतनाम पंथ" का संस्थापक माना जाथे।
गुरू घासीदास का समाज में एक नई सोच आऊ बिचार उत्पन करने के बहुत बड़ा हाथ है। घासीदास जी बहुत कम उम्र से पशुओं कि बलि , अन्य कुप्रथाओ जईस जाति भेद - भाव, छुवा - छूत के पूर्ण रूप से खिलाफ थे। ओहा पूरा छत्तीसगढ़ के हर जगह कि यात्रा कि आऊ ओखर हल निकालने का पूरा प्रयास किया।
ओहा satnam यानि की सत्य से लोगों को साक्षात्कार कराया आऊ सतनाम का पर चार किया। ओखर अनमोल विचार आऊ सकारात्मक सोच, हिन्दू आऊ बौद्ध विचारधाराओं से मिलते जुलते हैं। ओहा सत्य के परतिक के रूप में जैतखाम। को दरसाय -
'' यह एक सफेद रंग किया हुआ लकड़ियों का ढेर होता है ,जिसके ऊपर एक सफेद झंडा फहराता है। इसके सफेद रंग को सत्य का प्रतीक माना जाता है"।
श्री गुरू घासीदास जयंती guru ghasidas jayanti in chhattisagad
प्रतिवर्ष 18 दिसंबर , को गुरू घासीदास के जनम दिन को पूरे छत्तीसगढ़ में श्री गुरु घासीदास जयंती के रूप में मनाया जाता है । ओखर जयंती खासकर गुरू घासीदास जी के पुष्प वाटिका में 2-3 दिन उत्साह के साथ मनाया जाता हैं।
गिरौदपुरी का जैतखाम
रायपुर छत्तीसगढ़ से करीब 145km की दूरी पर बाबा गुरू घासीदास के जन्म स्थान गिरौदपुरी में सरकार ने विशाल स्तंभ जैतखाम का निर्माण किया है।
इसकी ऊंचाई 253 फिट हैं जो कि दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा है।
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