छत्तीसगढ़ी बोली भाषा प्रश्नोत्तरी सीजी व्यापम। Chhattisagrhi boli bhasha CG VYAPAM prasnotri
छत्तीसगढ़ी आर्य भाषा परिवार की पूरी हिंदी समूह की बोली मानी जाती है परंतु इनकी समृद्धि से भाषा का स्तर देती है।।
छत्तीसगढ़ी हिंदी भाषा समूह की बोली है छत्तीसगढ़ के समग्र विकास एवं विस्तार के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया गया है।।
राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष 28 नवंबर को राजभाषा दिवस मनाया जाता है छत्तीसगढ़ की कोई तकलीफ नहीं है इसके लिए देव नागरिक का ही प्रयोग किया जाता है।।
छत्तीसगढ़ की संपन्नता के आधार पर राज्य सरकार इसे 28 नवंबर 2007 को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया।।
छत्तीसगढ़ में लगभग 93 भाषा बोलो का व्यवहार होता है राज्य में सर्वाधिक छत्तीसगढ़ी एवं इसके बाद हल्बी बोली का प्रयोग होता है छत्तीसगढ़ के मैदान क्षेत्रों में मुख्यता आर्य भाषा समूह का प्रयोग होता है जबकि ज्यादातर जनजातियों क्षेत्रों में मुख्यता द्रविड़ भाषा समूह में मुंडा भाषा समूह के बुलिया प्रचलित है।।
छत्तीसगढ़ी वीभाषाओं के वर्गीकरण का आधार।
डॉक्टर ग्रियर्सन ने छत्तीसगढ़ी को 9 भागों में विभाजित किया है।।
*खैरा गढ़ी छत्तीसगढ़ी
*खल टाही छत्तीसगढ़ी
*सदरी छत्तीसगढ़ी
*बेगानी छत्तीसगढ़ी
*बिंझवार छत्तीसगढ़ी
*कलिंगा भुलिया छत्तीसगढ़ी
डॉक्टर नरेंद्र देव वर्मा के अनुसार छत्तीसगढ़ी बोली
*छत्तीसगढ़ी
1 रायपुरी
2 बिलासपुरी
*खल टाही छत्तीसगढ़ी
* लरिया छत्तीसगढ़ी
*सरगुजिया छत्तीसगढ़ी
*सदरी कोरवा छत्तीसगढ़ी
*बेगानी छत्तीसगढ़ी
*बिंदुवार छत्तीसगढ़ी
*कलिंगा छत्तीसगढ़ी
*भूलिया छत्तीसगढ़ी
*बस्तरिया हल्बी छत्तीसगढ़ी
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भौगोलिक आधार पर छत्तीसगढ़ का स्वरूप
*उत्तरी छत्तीसगढ़ी (भंडार छत्तीसगढ़ी)
*पूर्वी छत्तीसगढ़ी (उत्ती छत्तीसगढ़ी)
*दक्षिणी छत्तीसगढ़ी (रकसहु छत्तीसगढ़ी)
*पश्चिमी छत्तीसगढ़ी( बूडती छत्तीसगढ़)
*मध्य छत्तीसगढ़ी( केंदरी छत्तीसगढ़ी)
1961 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की मातृ भाषाएं
१. बेगानी २. भूलिया
३. बिलासपुर। ४ . छत्तीसगढ़ी
५. गोरी। ६ . लहरिया
७. सतनामी। ८. देवार
९. नागवंशी। १०. पनकी
छत्तीसगढ़ी का प्रति निष्ठा रूप
प्राचीन काल में श्रीपुरिया सिरपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी थीं ।।
इसलिए छत्तीसगढ़ का परिनिष्ठित स्वरूप रायपुर की जन भाषा थी।।
मध्यकाल में रतनपुर छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठा का केंद्र बना, इसलिए रतनपुर की बोली अर्थात बिलासपुरी प्रति निष्ठा बनी।।।
आमें बिलासपुर की अपेक्षा रायपुर की प्रमुखता के कारण रायपुर ही प्रति निष्ठा हो चली है।।
छत्तीसगढ़ी बोलियों का परिचय।
छत्तीसगढ़ी ( मध्य छत्तीसगढ़ी)
* मध्य छत्तीसगढ़ी को छत्तीसगढ़ी का मानक रूप माना जाता है ।मध्य छत्तीसगढ़ अर्थात :-राजनांदगांव ,दुर्ग ,रायपुर ,बिलासपुर ,बलौदा बाजार ,धमतरी क्षेत्रों में बोली जाती है।।
सरगुजिया छत्तीसगढ़ी।
* यह कोरिया सरगुजा कोरिया उदयपुर क्षेत्रों में बोली जाती है। छोटा नागपुर के समीप होने के कारण इस पर नागपुरिया प्रभाव है जो भोजपुरी का ही एक रूप है।।
खल टाही छत्तीसगढ़िया
* खल टाही छत्तीसगढ़ी कि पश्चिम सीमाओं पर बोली जाती है जो विधरब तथा मंडला क्षेत्रों में लगी हुई है इस पर बुंदेलखंडी का प्रभाव हैं।।
लरिया छत्तीसगढ़ी
* लरिया छत्तीसगढ़ में पूर्वी सीमा पर तीर्थ क्षेत्र रायगढ़ ,गरियाबंद, महासमुंद, एवं रायपुर में बोली जाती है।। लरिया पर उड़िया का प्रभाव देखा जा सकता है। ।
सदरी कोरवा छत्तीसगढ़ी बोली
सदरी कोरवा छत्तीसगढ़ी बोली
जसपुर की कोरवा जाति के लोगों बोली जाती है ।मिर्जापुर के सोनपुर क्षेत्र तथा बिलासपुर और रायगढ़ के उत्तर आवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले कोरवा इसी बोली का प्रयोग करते हैं ।।
यह बोली सरगुजा से पर्याप्त मिलती है इस पर भोजपुरी का भी प्रभाव देखा गया है। ।
बैं गानी छत्तीसगढ़ी भाषा
* इसका प्रयोग मुख्यता
बैगा जाति के लोग करते हैं ।।यह बिलासपुर कवर्धा क्षेत्र में बोली जाती है ।।इसलिए इसे बेगानी कहा गया है ।।बैगनी पर सीमावर्ती गो डी और बंदिली का प्रभाव पड़ा है।।
बिंझवार छत्तीसगढ़ी बोली
* रायपुर सारंगढ़ के कुछ हिस्सों में बिंझुआ री बोली जाती है।।
क लंगा छत्तीसगढ़ी भाषा
* कलंगा बोली उड़िया के समीपवर्ती इलाकों में बोली जाती है।।
परजी छत्तीसगढ़ी बोली
* बस्तर तथा संलग्न क्षेत्र उड़ीसा के परजा या धुरवा जनजाति की बोली को परजि या धुरवी भी कहा जाता है।। इसका प्रयोग जगदलपुर ,सुकमा ,कोंटा तहसीलों की सीमाओं तथा दंतेवाड़ा में बोला जाता है।।
हल्बी या बस्तरी छत्तीसगढ़ी बोली
* हल्बी बस्तर की हलबा जनजातियों के लोगों की बोली है ।।बस्तर में प्रचलित होने के कारण इसे बस्तरी भी कहा जाता है। ।
दोराली छत्तीसगढ़ी भाषा
* दोरली का व्यवहार बस्तर बीजापुर जिले के दक्षिणी पूर्वी सीमा पर होती है यह गोड़ी की एक बोली है ।।किंतु इसे
तेलुगु का प्रभाव है।।
अबूझमाड़ या छत्तीसगढ़ी भाषा
* अबूझमाड़ या बस्तर के दक्षिणी (दोरालि, दंडमी, मड़िया, तथा मुरिया) गोड़ों के मध्य एक संक्रांति क्षेत्र की बोली है।।
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छत्तीसगढ़ी भाषा समूह जोड़ी (नगारा जोड़ी)
* सुघर जोड़ी ला देखा के काखर मन हर नई मोहवे।। ए जोड़ी चाहे नारी पुरुष के रहे मंजूरी मंजूरीनी के नगारा कस जोड़ी फ़भे ले तन मन मा गुदगुदी उपलाथे।। कोंदर कोंदर आखी म देखे ले मन हर आघा जाथे।
अवाव कुछ जोड़ी के बारे म जानिन।
मूंगफली संग गुड
मुर्रा - मिरचा।
आमा - नून
करेला - कुंदरू।
शरबत - नीबू।
मूंगा - बरी।
कत्था - चुना |
बरा - पताल चटनी |
समोसा - अमली चटनी
आलू - भाटा
चूल्हा - बीडी |
सेमी - करेला |
ढेखरा - नार |
पान - चुना |
चाहा - डबलरोटी |
मछरी - कुकरी |
डोड़का - चना दार|
दारू संग मटन
पिंजरा - मैना
तरोई - तिवरादल |
रामकेलिया - करील
चना - प्याज
तुमा - गुड
दूध - भात
खेखसा - करील
पूजा - आरती
पतरी - दोना
लालभाजी - खोटनी
बोईर - बासी
चिंगरी - डेनडवा
पटुवभाजी - सुसकी
मुहु - होरा
सुकसी भाजी - बोईर
मिसान - मोहरी
Super
जवाब देंहटाएंChhattisgarhi language is best language
जवाब देंहटाएंAchha jankari
जवाब देंहटाएंHello
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